Ahmiyat Shayari In Hindi | अहमियत शायरी हिंदी में
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Ahmiyat Shayari
जो तू नहीं है तो ये मुकम्मल न हो सकेंगी
तिरी यही अहमियत है मेरी कहानियों में
शाएरी तो वारदात ए कल्ब की रूदाद है
काफिया पैमाई को मैं शाएरी कैसे कहूँ
क्यूँ सर खपा रहे हो मजामीं की खोज में
कर लो जदीद शायरी लफ्जों को जोड़ कर
मैं कहाँ और कहाँ शाएरी मैं ने तो फकत
मज्लिस ए बपा की तो तुम्हारे लिए की
शाइरी में अन्फुस ओ आफाक मुबहम हैं अभी
इस्तिआरा ही हकीकत में खुदा सा ख्वाब है
शाइ री झूट सही इश्क फसाना ही सही
जिंदा रहने के लिए कोई बहाना ही सही
हकीकी और मजाजी शायरी में फर्क ये पाया
कि वो जामे से बाहर है ये पाजामे से बाहर है
हो नहीं पाती शाइरी अफजल
नज्र जब तक लहू नहीं करता
जाने कितने लोग शामिल थे मिरी तख्लीक में
मैं तो बस अल्फाज में था शाएरी में कौन था
काएम मैं इख्तियार किया शाइ री का ऐब
पहुँचा न कोई शख्स जब अपने हुनर तलक
जो दिख रहा उसी के अंदर जो अन दिखा है वो शायरी है
जो कह सका था वो कह चुका हूँ जो रह गया है वो शायरी है
शायरी फूल खिलाने के सिवा कुछ भी नहीं है तो जफर
बाग ही कोई लगाता कि जहाँ खेलते बच्चे जा कर
चाहिए रंग ए तगज्जुल भी गजल में प्यारे
शाइरी नाम नहीं काफिया पैमाई का
क्यूँ ओ शायरी को बुरा जानूँ मुसहफी
जिस शायरी ने आरिफ ए कामिल किया मुझे
मैं ने तो तसव्वुर में और अक्स देखा था
फिक्र मुख्तलिफ क्यूँ है शाएरी के पैकर में
शाइरी पेट की खातिर जावेद
बीच बाजार के आ बैठी है
करना है शाइरी अगर नौशाद
मीर का कुल्लियात याद करो
सुना है उस को भी है ओ शाइरी से शगफ
सो हम भी मोजजे अपने हुनर के देखते हैं