Aitbaar Shayari In Hindi | ऐतबार शायरी हिंदी में
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Aitbaar Shayari
रिश्तों का ए तिबार वफाओं का इंतिजार
हम भी चराग ले के हवाओं में आए हैं
ए तिबार ए इश्क की खाना खराबी देखना
गैर ने की आह लेकिन वो खफा मुझ पर हुआ
हर चंद ए तिबार में धोके भी हैं मगर
ये तो नहीं किसी पे भरोसा किया न जाए
नशात ए इजहार पर अगरचे रवा नहीं ए तिबार करना
मगर ये सच है कि आदमी का सुराग मिलता है गुफ्तुगू से
लफ्ज भी जिस अहद में खो बैठे अपना ए तिबार
खामुशी को इस में कितना मो तबर मैं ने किया
यास इस चर्ख ए जमाना साज का क्या ए तिबार
मेहरबाँ है आज कल ना मेहरबाँ हो जाएगा
वा दे का ए तिबार तो है वाकई मुझे
ये और बात है कि हँसी आ गई मुझे
कफ ए खिजाँ पे खिला मैं इस ए तिबार के साथ
कि हर नुमू का तअल्लुक नहीं बहार के साथ
गजब किया तिरे वअ दे पे ए तिबार किया
तमाम रात कयामत का इंतिजार किया
आलम ए पीरी में क्या मू ए सियह का ए तिबार
सुब्ह ए सादिक देती है झूटी गवाही रात की
वा दे और ए तिबार में है रब्त ए बाहमी
इस रब्त ए बाहमी का मगर ए तिबार किया
ऐ आसमान हर्फ को फिर ए तिबार दे
वर्ना हकीकतों को कहानी लिखेंगे लोग
जब नहीं कुछ ए तिबार ए जिंदगी
इस जहाँ का शाद क्या नाशाद क्या
यकीन चाँद पे सूरज में ए तिबार भी रख
मगर निगाह में थोड़ा सा इंतिजार भी रख
मुझे है ए तिबार ए वादा लेकिन
तुम्हें खुद ए तिबार आए न आए
तू बेवफा है तिरा ए तिबार कौन करे
तमाम उम्र तिरा इंतिजार कौन करे
किसी पे करना नहीं ए तिबार मेरी तरह
लुटा के बैठोगे सब्र ओ करार मेरी तरह
हैं ए तिबार से कितने गिरे हुए देखा
इसी जमाने में किस्से इसी जमाने के
इस ए तिबार पे काटी है हम ने उम्र ए अजीज
सहर का वक्त उजाले भी साथ लाएगा
अपनी निगाह पर भी करूँ ए तिबार क्या
किस मान पर कहूँ वो मिरा इंतिखाब था