Baatein Shayari In Hindi | बातें शायरी हिंदी में
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Baatein Shayari
मेरा जाहिर देखने वाले मिरा बातिन भी देख
घर के बाहर है उजाला घर के अंदर कुछ नहीं
साफ क्या हो सोहबत ए जाहिर से बातिन का गुबार
मुँह नजर आता नहीं आईना ए तस्वीर में
हम अपने जाहिर ओ बातिन का अंदाजा लगा लें
फिर उस के सामने जाने की तय्यारी करेंगे
हिसार ए खौफ ओ हिरास में है बुतान ए वहम ओ गुमाँ की बस्ती
मुझे खबर ही नहीं कि अब मैं जुनूब में या शुमाल में हूँ
बड़े पाक तीनत बड़े साफ बातिन
रियाज आप को कुछ हमीं जानते हैं
बुतान ए शहर तुम्हारे लरजते हाथों में
कोई तो संग हो ऐसा कि मेरा सर ले जाए
चश्म ए बातिन में से जब जाहिर का पर्दा उठ गया
जो मुसलमाँ था वही हिन्दू नजर आया मुझे
फँस गया है दाम ए काकुल में बुतान ए हिन्द के
ताइर ए दिल को हमारे राम दाना चाहिए
बुतान ए सर्व कामत की मोहब्बत में न फल पाया
रियाजत जिन पे की बरसों वो नख्ल ए बे समर निकले
मोहब्बत तीर है और तीर बातिन छेद देता है
मगर निय्यत गलत हो तो निशाने पर नहीं लगता
अब इम्तियाज ए जाहिर ओ बातिन भी मिट गया
दिल चाक हो रहा है गरेबाँ के साथ साथ
खूब रूई पे है क्या नाज बुतान ए लंदन
हैं फकत रूई के गालों की तरह गाल सफेद
बुतान ए शहर को ये ए तिराफ हो कि न हो
जबान ए इश्क की सब गुफ्तुगू समझते हैं
तू ही जाहिर है तू ही बातिन है
तू ही तू है तो मैं कहाँ तक हूँ
मीठी बातें, कभी तल्ख लहजे के तीर
दिल पे हर दिन है उन का करम भी नया
अहबाब का शिकवा क्या कीजिए खुद जाहिर ओ बातिन एक नहीं
लब ऊपर ऊपर हँसते हैं दिल अंदर अंदर रोता है
मिरे बुत खाने से हो कर चला जा काबे को जाहिद
ब जाहिर फर्क है बातिन में दोनों एक रस्ते हैं
बुतान ए हिन्द मिरे दिल में हैं दर आए हुए
खुदा के घर को घर अपना हैं ये बनाए हुए
जाहिरी वाज से है क्या हासिल
अपने बातिन को साफ कर वाइज
हम बहुत देखे फरंगिस्तान के हुस्न ए सबीह
चर्ब है सब पर बुतान ए हिन्द का रंग ए मलीह