Barabari Shayari In Hindi | बराबरी शायरी हिंदी में
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Barabari Shayari
कद में तो कर चुका था वो अहमक बराबरी
मजबूर सर्व को तिरी रफ्तार ने किया
माशूक से भी हम ने निभाई बराबरी
वाँ लुत्फ कम हुआ तो यहाँ प्यार कम हुआ
हाए बे दाद ए मोहब्बत कि ये ईं बर्बादी
हम को एहसास ए जियाँ भी तो नहीं होता है
सुनेगा जब जमाना मेरी बर्बादी के अफ्साने
तुम्हारा नाम भी आएगा मेरे नाम से पहले
आजिम तेरी बर्बादी में सब ने मिल जुल कर काम किया
कुछ खेल लकीरों का भी है कुछ वक्त की कार गुजारी भी
हर तरफ हैं खाना बर्बादी के मंजर बे शुमार
कुछ ठिकाना है भला इस जज्बा ए तामीर का
उसी दिन से मुझे दोनों की बर्बादी का खतरा था
मुकम्मल हो चुके थे जिस घड़ी अर्ज ओ समा बन कर
हम ने कितने धोके में सब जीवन की बर्बादी की
गाल पे इक तिल देख के उन के सारे जिस्म से शादी की
कौन जाने था उस का नाम ओ नुमूद
मेरी बर्बादी से बना है इश्क
बड़ों बड़ों के कदम डगमगाए जाते हैं
पड़ा है काम बदलते हुए जमाने से
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