Bechain Shayari In Hindi | बेचैन शायरी हिंदी में
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Bechain Shayari
दिल बहुत बेचैन बे आराम है
क्या मोहब्बत का यही अंजाम है
एक बेचैन समुंदर है मिरे जिस्म में कैद
टूट जाए जो ये दीवार तो मंजर देखूँ
फिराक ए यार ने बेचैन मुझ को रात भर रक्खा
कभी तकिया इधर रक्खा कभी तकिया उधर रक्खा
मुझ से बिछड़ कर होगा समुंदर भी बेचैन
रात ढले तो करता होगा शोर बहुत
बेचैन इस कदर था कि सोया न रात भर
पलकों से लिख रहा था तिरा नाम चाँद पर
रात बेचैन सी सर्दी में ठिठुरती है बहुत
दिन भी हर रोज सुलगता है तिरी यादों से
बेचैन बहुत फिरना घबराए हुए रहना
इक आग सी जज्बों की दहकाए हुए रहना
उसे बेचैन कर जाऊँगा मैं भी
खमोशी से गुजर जाऊँगा मैं भी
हम को बेचैन किए जाते हैं
हाए क्या शय वो लिए जाते हैं
इक चुभन है कि जो बेचैन किए रहती है
ऐसा लगता है कि कुछ टूट गया है मुझ में
शैख जी क्यूँकि मआसी से बचें हम कि गुनाह
इर्स है अपनी हम आदम के अगर पोते हैं
किस्मत में क्या है देखें जीते बचें कि मर जाएँ
कातिल से अब तो हम ने आँखें लड़ाइयाँ हैं
गम अगरचे जाँ गुसिल है प कहाँ बचें कि दिल है
गम ए इश्क गर न होता गम ए रोजगार होता
इश्क में बे ताबियाँ होती हैं लेकिन ऐ हसन
जिस कदर बेचैन तुम हो उस कदर कोई न हो
हर चंद बगूला मुज्तर है इक जोश तो उस के अंदर है
इक वज्द तो है इक रक्स तो है बेचैन सही बर्बाद सही
तस्कीन दे सकेंगे न जाम ओ सुबू मुझे
बेचैन कर रही है तिरी आरजू मुझे
इंसान की दुनिया में इंसाँ है परेशाँ क्यूँ
मछली तो नहीं होती बेचैन कभी जल में
उस ने फेंका मुझ पे पत्थर और मैं पानी की तरह
और ऊँचा और ऊँचा और ऊँचा हो गया
औने पौने गजलें बेचीं ों का व्यापार किया
देखो हम ने पेट की खातिर क्या क्या कारोबार किया
मौसम ए जर्द में एक दिल को बचाऊँ कैसे
ऐसी रुत में तो घने पेड़ भी झड़ जाते हैं
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