Dariya Shayari In Hindi | दरिया शायरी हिंदी में
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Dariya Shayari
हुए मदफून ए दरिया जेर ए दरिया तैरने वाले
तमांचे मौज के खाते थे जो बन कर गुहर निकले
सहबा साहब दरिया हो तो दरिया जैसी बात करो
तेज हवा से लहर तो इक जौहड़ में भी आ जाती है
दरिया से मौज मौज से दरिया जुदा नहीं
हम से जुदा नहीं है खुदा और खुदा से हम
जंगल जंगल आग लगी है दरिया दरिया पानी है
नगरी नगरी थाह नहीं है लोग बहुत घबराए हैं
दरिया की जिंदगी पर सदके हजार जानें
मुझ को नहीं गवारा साहिल की मौत मरना
ये क्या कि बैठा है दरिया किनार ए दरिया पर
मैं आज बहता हुआ जा रहा हूँ पानी में
मुद्दतों ब अद पशेमाँ हुआ दरिया हम से
मुद्दतों ब अद हमें प्यास छुपानी आई
इशरत ए कतरा है दरिया में फना हो जाना
दर्द का हद से गुजरना है दवा हो जाना
गिरते हैं समुंदर में बड़े शौक से दरिया
लेकिन किसी दरिया में समुंदर नहीं गिरता
दो किनारे हों तो सैल ए जिंदगी दरिया बने
एक हद लाजिम है पानी की रवानी के लिए
नई तहकीक ने कतरों से निकाले दरिया
हम ने देखा है कि जर्रों से जमाने निकले
दरिया में वो धोया था कभी दस्त ए हिनाई
हसरत से वहीं पंजा ए मर्जां में लगी आग
हमेशा आग के दरिया में इश्क क्यूँ उतरे
कभी तो हुस्न को गर्क ए अजाब होना था
कश्ती भी नहीं बदली दरिया भी नहीं बदला
और डूबने वालों का जज्बा भी नहीं बदला
शहर हो दश्त ए तमन्ना हो कि दरिया का सफर
तेरी तस्वीर को सीने से लगा रक्खा है
चाँद भी हैरान दरिया भी परेशानी में है
अक्स किस का है कि इतनी रौशनी पानी में है
होंटों को रोज इक नए दरिया की आरजू
ले जाएगी ये प्यास की आवारगी कहाँ
दरिया पे टीकरी से परे खानकाह थी
तब तेरे मेरे प्यार की दुनिया गवाह थी
कहाँ तक वक्त के दरिया को हम ठहरा हुआ देखें
ये हसरत है कि इन आँखों से कुछ होता हुआ देखें
कतरा अपना भी हकीकत में है दरिया लेकिन
हम को तकलीद ए तुनुक जर्फी ए मंसूर नहीं
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