Dukhi Shayari In Hindi | दुखी शायरी हिंदी में
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Dukhi Shayari
तुझे संग दिल ये पता है क्या कि दुखे दिलों की सदा है क्या?
कभी चोट तू ने भी खाई है कभी तेरा दिल भी दुखा है क्या?
दिल दुखे रोए हैं शायद इस जगह ऐ कू ए दोस्त
खाक का इतना चमक जाना जरा दुश्वार था
दुनिया ये दुखी है फिर भी मगर थक कर ही सही सो जाती है
तेरे ही मुकद्दर में ऐ दिल क्यूँ चैन नहीं आराम नहीं
तिरे न आने से दिल भी नहीं दुखा शायद
वगरना क्या मैं सर ए शाम सोने वाला था
हर साँस है इक नग्मा हर नग्मा है मस्ताना
किस दर्जा दुखे दिल का रंगीन है अफ्साना
वो अब भी दिल दुखा देता है मेरा
वो मेरा दोस्त है दुश्मन नहीं है
दुखा देते हो तुम दिल को तो बढ़ जाता है दिल मेरा
खुशी होता हूँ ऐसा मैं कि हँस देता हूँ रिक्कत में
दिल दुखा ही करे है सीने में
याँ यही सुब्ह ओ शाम आफत है
जाने किस बात से दुखा है बहुत
दिल कई रोज से खफा है बहुत
जाहिदो कुदरत ए खुदा देखो
बुत को भी दावा ए खुदाई है
तुझ को देखा न तिरे नाज ओ अदा को देखा
तेरी हर तर्ज में इक शान ए खुदा को देखा
कभी दिखा दे वो मंजर जो मैं ने देखे नहीं
कभी तो नींद में ऐ ख्वाब के फरिश्ते आ
जज्बा ए बे इख्तियार ए शौक देखा चाहिए
सीना ए शमशीर से बाहर है दम शमशीर का
शब ए हिज्र जब ख्वाब देखा ये देखा
कि तुझ को गले से लगाए हुए हैं
तुझ को देखा तिरे वादे देखे
ऊँची दीवार के लम्बे साए
आबादी भी देखी है वीराने भी देखे हैं
जो उजड़े और फिर न बसे दिल वो निराली बस्ती है
इश्क ही इश्क है जहाँ देखो
सारे आलम में भर रहा है इश्क
मुझे न देखो मिरे जिस्म का धुआँ देखो
जला है कैसे ये आबाद सा मकाँ देखो
दुनिया की रविश देखी तिरी जुल्फ ए दोता में
बनती है ये मुश्किल से बिगड़ती है जरा में
हम ने देखा तरफ ए मय कदा जाते थे रियाज
इक असा थामे अबा पहने अमामा बाँधे
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