Dushman Shayari In Hindi | दुश्मन शायरी हिंदी में
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Dushman Shayari दुश्मन शायरी हिंदी में (2022-23) In Hindi
Dushman Shayari
आज खुला दुश्मन के पीछे दुश्मन थे
और वो लश्कर इस लश्कर की ओट में था
दुश्मन गए तो कशमकश ए दोस्ती गई
दुश्मन गए कि दोस्त हमारे चले गए
जो तू ने की सो दुश्मन भी नहीं दुश्मन से करता है
गलत था जानते थे तुझ को जो हम मेहरबाँ अपना
Dushman Shayari दुश्मन शायरी हिंदी में (2022-23) हिंदी में
दुश्मनों से क्या गरज दुश्मन हैं वो
दोस्तों को आजमा कर देखिए
Dushman Shayari दुश्मन शायरी हिंदी में (2022-23) 2 line
आप के दुश्मन रहें वक्फ ए खलिश सर्फ ए तपिश
आप क्यूँ गम ख्वारी ए बीमार ए हिज्राँ कीजिए
लोग दुश्मन हुए उसी के शकेब
काम जिस मेहरबान से निकला
उस के दुश्मन हैं बहुत आदमी अच्छा होगा
वो भी मेरी ही तरह शहर में तन्हा होगा
एहसास ए जुर्म जान का दुश्मन है जाफरी
है जिस्म तार तार सजा के बगैर भी
मुझे दुश्मन से अपने इश्क सा है
मैं तन्हा आदमी की दोस्ती हूँ
दुश्मन के घर से चल के दिखा दो जुदा जुदा
ये बाँकपन की चाल ये नाज ओ अदा की है
दिल उन को मुफ्त देने में दुश्मन को रश्क क्यूँ
हम अपना माल देते हैं इस में किसी का क्या
मुँह छुपाना पड़े न दुश्मन से
ऐ शब ए गम सहर न हो जाए
जिसे भी दोस्त बनाया वो बन गया दुश्मन
ये हम ने कौन सी तक्सीर की सजा पाई
दोस्ती की तुम ने दुश्मन से अजब तुम दोस्त हो
मैं तुम्हारी दोस्ती में मेहरबाँ मारा गया
बज्म ए दुश्मन में जा के देख लिया
ले तुझे आजमा के देख लिया
दुनिया तो है दुनिया कि वो दुश्मन है सदा की
सौ बार तिरे इश्क में हम खुद से लड़े हैं
अपने दुश्मन को भी खुद बढ़ के लगा लो सीने
बात बिगड़ी हुई इस तरह बना ली जाए
अपना दुश्मन हो अगर कुछ है शुऊर
इंतिजार ए वादा ए फर्दा न कर
किस जमाने की ये दुश्मन थी मिरी
इस मोहब्बत का हो मुँह काला मियाँ
प्यार की आँख से दुश्मन को भी जो देखते हैं
हम ने ऐसे भी हैं अल्लाह के प्यारे देखे
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