Ghayal Shayari In Hindi | घायल शायरी हिंदी में
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Ghayal Shayari
रिहा कर दे कफस की कैद से घायल परिंदे को
किसी के दर्द को इस दिल में कितने साल पालेगा
नीची नजरों से कर दिया घायल
अब ये समझे कि ये हया क्या है
अपनी ही तेग ए अदा से आप घायल हो गया
चाँद ने पानी में देखा और पागल हो गया
देखने भी जो वो जाते हैं किसी घायल को
इक नमक दाँ में नमक पीस के भर लेते हैं
में साँस साँस हूँ घायल ये कौन मानेगा
बदन पे चोट का कोई निशान भी तो नहीं
इधर उधर से मुकाबिल को यूँ न घाइल कर
वो संग फेंक कि बे साख्ता निशाना लगे
हदफ जिस का फकत दिल हो मैं ऐसे तीर के कुर्बां
बदन जिस से न घाएल हो मैं उस शमशीर के कुर्बां
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