Gunehgar Shayari In Hindi | गुनेहगर शायरी हिंदी में
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Gunehgar Shayari
तेरा कुसूर वार खुदा का गुनाहगार
जो कुछ कि था यही दिल ए खाना खराब था
जाहिद तो बख्शे जाएँ गुनहगार मुँह तकें
ऐ रहमत ए खुदा तुझे ऐसा न चाहिए
गुनाहगार के दिल से न बच के चल जाहिद
यहीं कहीं तिरी जन्नत भी पाई जाती है
बोसा ए सब्जा ए खत दे के गुनहगार किया
तू ने काँटों में मुझे ऐ गुल ए रअना खींचा
दूर से देखने का यास गुनहगार हूँ मैं
आश्ना तक न हुए लब कभी पैमाने से
मुझ गुनहगार को जो बख्श दिया
तो जहन्नम को क्या दिया तू ने
हूँ खता कार सियाहकार गुनहगार मगर
किस को बख्शे तिरी रहमत जो गुनहगार न हो
गुनाहगार तो रहमत को मुँह दिखा न सका
जो बे गुनाह था वो भी नजर मिला न सका
आप क्यूँ रहते हैं मुझ जैसे गुनहगार के साथ
कौन सा रिश्ता है गिरती हुई दीवार के साथ
गुनाह गार हूँ आरिफ बस एक आँसू का
फसाना ए गम ए दिल और मुख्तसर न हुआ
कब मैं कहता हूँ कि तेरा मैं गुनहगार न था
लेकिन इतनी तो उकूबत का सजा वार न था
मुजरिम हूँ मैं अगर तो गुनहगार तुम भी हो
ऐ रहबरना ए कौम खता कार तुम भी हो
झूट बोलों तो गुनहगार बनों
साफ कह दूँ तो सजा वार बनों
इब्तिदा उस ने ही की थी मिरी रुस्वाई की
वो खुदा है तो गुनहगार नहीं हूँ मैं भी
मजरूह लिख रहे हैं वो अहल ए वफा का नाम
हम भी खड़े हुए हैं गुनहगार की तरह
हद चाहिए सजा में उकूबत के वास्ते
आखिर गुनाहगार हूँ काफर नहीं हूँ मैं
यही इंसाफ तिरे अहद में है ऐ शह ए हुस्न
वाजिब उल कत्ल मोहब्बत के गुनहगार हैं सब
दफ्न हम हो चुके तो कहते हैं
इस गुनहगार का खुदा हाफिज
कह दिया तू ने जो मा सूम तो हम हैं मा सूम
कह दिया तू ने गुनहगार गुनहगार हैं हम
पी भी जा शैख कि साकी की इनायत है शराब
मैं तिरे बदले कयामत में गुनहगार रहा
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