Guroor Shayari In Hindi | गुरूर शायरी हिंदी में
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Guroor Shayari
मिरी चाहतों में गुरूर हो दिल ए ना तवाँ में सुरूर हो
तुम्हें अब के खाना है वो कसम कि फरेब में भी यकीन हो
गुरूर से जो जमीं पर कदम नहीं रखती
ये किस गली से नसीम ए बहार आती है
जिन सफीनों ने कभी तोड़ा था मौजों का गुरूर
उस जगह डूबे जहाँ दरिया में तुग्यानी न थी
तिरे गुरूर की इस्मत दरी पे नादिम हूँ
तिरे लहू से भी दामन है दागदार मिरा
आइना देख कर गुरूर फुजूल
बात वो कर जो दूसरा न करे
अल्लाह रे सनम ये तिरी खुद नुमाईयाँ
इस हुस्न ए चंद रोजा पे इतना गुरूर हो
जरा नकाब ए हसीं रुख से तुम उलट देना
हम अपने दीदा ओ दिल का गुरूर देखेंगे
सरमाया ए हयात हुआ चाहता है खत्म
जिस पर गुरूर था वही दौलत नहीं रही
जिस सर को गुरूर आज है याँ ताज वरी का
कल उस पे यहीं शोर है फिर नौहागरी का
आरिज पे तेरे मेरी मोहब्बत की सुर्खियाँ
मेरी जबीं पे तेरी वफा का गुरूर है
जर्रे की तरह खाक में पामाल हो गए
वो जिन का आसमाँ पे सर ए पुर गुरूर था
तिरा गुरूर झुक के जब मिला मिरे वजूद से
न जाने मेरी कमतरी का चेहरा क्यूँ उतर गया
गुरूर भी जो करूँ मैं तो आजिजी हो जाए
खुदी में लुत्फ वो आए कि बे खुदी हो जाए
बहुत गुरूर था बिफरे हुए समुंदर को
मगर जो देखा मिरे आँसुओं से कम तर था
सब नजर आते हैं चेहरे गर्द गर्द
क्या हुए बे आब आईने तमाम
उस शान ए आजिजी के फिदा जिस ने आरजू
हर नाज हर गुरूर के काबिल बना दिया
अदा आई जफा आई गुरूर आया हिजाब आया
हजारों आफतें ले कर हसीनों पर शबाब आया
कभी हया उन्हें आई कभी गुरूर आया
हमारे काम में सौ सौ तरह फुतूर आया
सर को न फेंक अपने फलक पर गुरूर से
तू खाक से बना है तिरा घर जमीन है
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