Hakikat Shayari In Hindi | हकीकत शायरी हिंदी में
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Hakikat Shayari
निस्यह ओ नक्द ए दो आलम की हकीकत मालूम
ले लिया मुझ से मिरी हिम्मत ए आली ने मुझे
शहर ए उम्मीद हकीकत में नहीं बन सकता
तो चलो उस को तसव्वुर ही में तामीर करें
सर रिश्ता कुफ्र ओ दीं का हकीकत में एक है
जो तार ए सुब्हा है सो है जुन्नार देखना
मिरी उम्र ए गुजिश्ता की हकीकत पूछने वालो
मुझे वो उम्र उम्र ए राएगाँ मालूम होती है
तमीज ए ख्वाब ओ हकीकत है शर्त ए बेदारी
खयाल ए अज्मत ए माजी को छोड़ हाल को देख
मेरा हर हकीकत की है जिंदा तस्वीर
अपने अशआर में किस्सा नहीं लिख्खा मैं ने
वस्ल के दिन शब ए हिज्राँ की हकीकत मत पूछ
भूल जानी है मुझे सुब्ह कूँ फिर शाम की बात
जिंदगानी की हकीकत कोहकन के दिल से पूछ
जू ए शीर ओ तेशा ओ संग ए गिराँ है जिंदगी
हर इक कयास हकीकत से दूर तर निकला
किताब का न कोई दर्स मो तबर निकला
दर हकीकत इत्तिसाल ए जिस्म ओ जाँ है जिंदगी
ये हकीकत है कि अर्बाब ए हिमम के वास्ते
पूछे जो जिंदगी की हकीकत कोई जमाल
तो चुटकियों में रेत उड़ा कर उसे दिखा
वो बादा नोश हकीकत है इस जहाँ में रवाँ
कि झूम जाए फलक गर उसे खुमार आए
खत में लिक्खी है हकीकत दश्त गर्दी की अगर
नामा बर जंगली कबूतर को बनाना चाहिए
जिंदगी की हकीकत अजब हो गई
आज कल हो रही है बसर ख्वाब में
मिरा वजूद हकीकत मिरा अदम धोका
फना की शक्ल में सर चश्मा ए बका हूँ मैं
हर हकीकत है एक हुस्न हफीज
और हर हुस्न इक हकीकत है
इक शम ए आरजू की हकीकत ही क्या मगर
तूफाँ में हम चराग जलाए हुए तो हैं
जबान दिल की हकीकत को क्या बयाँ करती
किसी का हाल किसी से कहा नहीं जाता
कुफ्र ओ इस्लाम में तौलें जो हकीकत तेरी
बुत कदा क्या कि हरम संग ए तराजू हो जाए
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