Hamdard Shayari In Hindi | हमदर्द शायरी हिंदी में
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Hamdard Shayari
कोई हमदर्द न हमदम न यगाना अपना
रू ब रू किस के कहें हम ये फसाना अपना
कहते हो कि हमदर्द किसी का नहीं सुनते
मैं ने तो रकीबों से सुना और ही कुछ है
अदम से हस्ती में जब हम आए न कोई हमदर्द साथ लाए
जो अपने थे वो हुए पराए अब आसरा है तो बेकसी का
न कोहकन है न मजनूँ कि थे मिरे हमदर्द
मैं अपना दर्द ए मोहब्बत कहूँ तो किस से कहूँ
मैं आ कर दुश्मनों में बस गया हूँ
यहाँ हमदर्द हैं दो चार मेरे
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