Hijab Shayari In Hindi | हिजाब शायरी हिंदी में
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Hijab Shayari हिजाब शायरी हिंदी में (2022-23) In Hindi
Hijab Shayari
इश्क भी हो हिजाब में हुस्न भी हो हिजाब में
या तो खुद आश्कार हो या मुझे आश्कार कर
मय कदे में क्या तकल्लुफ मय कशी में क्या हिजाब
बज्म ए साकी में अदब आदाब मत देखा करो
सोहबत ए वस्ल है मसदूद हैं दर हाए हिजाब
नहीं मालूम ये किस आह से शरम आती है
Hijab Shayari हिजाब शायरी हिंदी में (2022-23) हिंदी में
हिजाब उन से वो मेरा पूछना सर रख के कदमों पर
सबब क्या है जो यूँ मुझ से खफा सरकार बैठे हैं
Hijab Shayari हिजाब शायरी हिंदी में (2022-23) 2 line
पलक फसाना शरारत हिजाब तीर दुआ
तमन्ना नींद इशारा खुमार सख्त थकी
उठा हिजाब तो बस दीन ओ दिल दिए ही बनी
जनाब ए शैख को दावा था पारसाई का
दर्द ए दिल कहते हुए बज्म में आता है हिजाब
तखलिया हो तो कुछ अहवाल सुनाएँ तुझ को
इक अदा इक हिजाब इक शोखी
नीची नजरों में क्या नहीं होता
हिजाब करने की बंदिश मुझे गवारा नहीं
कि मेरा जिस्म कोई माल ए जर तुम्हारा नहीं
हुस्न ए खुद बीं को हुआ और सिवा नाज ए हिजाब
शौक जब हद से बढ़ा चश्म ए तमाशाई का
नवेद ऐ दिल कि रफ्ता रफ्ता गया है उस का हिजाब आधा
हजार मुश्किल से बारे रुख पर से उस ने उल्टा नकाब आधा
एक ही चीज है पर्दे में कि बैरून ए हिजाब
मुझ को जाहिर भी किया खुद को छुपाया भी गया
मैं तो हिजाब में भी तुझे देखता रहा
पर्दा उठा के क्यूँ मिरी मिट्टी खराब की
साथ शोखी के कुछ हिजाब भी है
इस अदा का कहीं जवाब भी है
हैं मिरी राह का पत्थर मिरी आँखों का हिजाब
जख्म बाहर के जो अंदर नहीं जाने देते
हिजाब उस के मिरे बीच अगर नहीं कोई
तो क्यूँ ये फासला ए दरमियाँ नहीं जाता
हमारी महफिलों में बे हिजाब आने से क्या होगा
नहीं जब होश में हम जल्वा फरमाने से क्या होगा
आँखें तिरी हर एक से मिलती हैं बे हिजाब
इन आहुओं में अब कोई वहशत नहीं रही
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