Ilzam Shayari In Hindi | इल्ज़ाम शायरी हिंदी में
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Ilzam Shayari इल्जाम शायरी हिंदी में (2022-23) In Hindi
Ilzam Shayari
गलत है जज्बा ए दिल पर नहीं कोई इल्जाम
खुशी मिली न हमें जब तो गम की खू कर ली
अबस इल्जाम मत दो मुश्किलात ए राह को राही
तुम्हारे ही इरादे में कमी मालूम होती है
अपनी लग्जिश को तो इल्जाम न देगा कोई
लोग थक हार के मुजरिम हमें ठहराएँगे
Ilzam Shayari इल्जाम शायरी हिंदी में (2022-23) हिंदी में
कोई इल्जाम कोई तंज कोई रुस्वाई
दिन बहुत हो गए यारों ने इनायत नहीं की
Ilzam Shayari इल्जाम शायरी हिंदी में (2022-23) 2 line
शम्अ पर खून का इल्जाम हो साबित क्यूँ कर
फूँक दी लाश भी कम्बख्त ने परवाने की
खुद अपने कत्ल का इल्जाम ढो रहा हूँ अभी
मैं अपनी लाश पे सर रख के रो रहा हूँ अभी
बुतों को पूजने वालों को क्यूँ इल्जाम देते हो
डरो उस से कि जिस ने उन को इस काबिल बनाया है
दिल पे आए हुए इल्जाम से पहचानते हैं
लोग अब मुझ को तिरे नाम से पहचानते हैं
छोड़ना है तो न इल्जाम लगा कर छोड़ो
कहीं मिल जाओ तो फिर लुत्फ ए मुलाकात रहे
तुम मेरे लिए अब कोई इल्जाम न ढूँडो
चाहा था तुम्हें इक यही इल्जाम बहुत है
कितने इल्जाम आखिर अपने सर
तुम ने गैरों को सर चढ़ा के लिए
यार पर इल्जाम कैसा ऐ दिल ए खाना खराब
जो किया तुझ से तिरी किस्मत ने उस ने क्या किया
तुम पे इल्जाम न आ जाए सफर में कोई
रास्ता कितना ही दुश्वार हो ठहरा न करो
दस्तूर ही अलग है तिरी बज्म ए नाज का
इल्जाम दे के कह दिया इल्जाम ही तो है
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