Insaan Shayari In Hindi | इंसान शायरी हिंदी में
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Insaan Shayari
ऐ खुदा इंसान की तक्सीम दर तक्सीम देख
पारसाओं देवताओं कातिलों के दरमियाँ
किस कदर महदूद कर देता है गम इंसान को
खत्म कर देता है हर उम्मीद हर इम्कान को
शक्ल इंसान की हो चाल भी इंसान की हो
यूँ भी आती है कयामत मुझे मा लूम न था
फुर्कत ए यार में इंसान हूँ मैं या कि सहाब
हर बरस आ के रुला जाती है बरसात मुझे
फरिश्ते से बढ़ कर है इंसान बनना
मगर इस में लगती है मेहनत जियादा
मौत ही इंसान की दुश्मन नहीं
जिंदगी भी जान ले कर जाएगी
मैं फकत इंसान हूँ हिन्दू मुसलमाँ कुछ नहीं
मेरे दिल के दर्द में तफरीक ए ईमाँ कुछ नहीं
दर्द ए दिल के वास्ते पैदा किया इंसान को
वर्ना ताअत के लिए कुछ कम न थे कर्र ओ बयाँ
अल्लाह अगर तौफीक न दे इंसान के बस का काम नहीं
फैजान ए मोहब्बत आम सही इरफान ए मोहब्बत आम नहीं
रवाँ है उम्र और इंसान गाफिल
मुसाफिर है कि सोता जा रहा है
अगर है इंसान का मुकद्दर खुद अपनी मिट्टी का रिज्क होना
तो फिर जमीं पर ये आसमाँ का वजूद किस कहर के लिए है
अब तो इंसान की अज्मत भी कोई चीज नहीं
लोग पत्थर को खुदा मान लिया करते थे
इंसान के दिल को ही कोई साज नहीं है
किस पर्दे में वर्ना तिरी आवाज नहीं है
है फहम उस का जो हर इंसान के दिल की जबाँ समझे
सुखन वो है जिसे हर शख्स अपना ही बयाँ समझे
अफसोस किसी से मिट न सकी इंसान के दिल की तिश्ना लबी
शबनम है कि रोया करती है बादल हैं कि बरसा करते हैं
क्या तिरे शहर के इंसान हैं पत्थर की तरह
कोई नग्मा कोई पायल कोई झंकार नहीं
बनाया ऐ जफर खालिक ने कब इंसान से बेहतर
मलक को देव को जिन को परी को हूर ओ गिल्माँ को
इंसान हादसात से कितना करीब है
तू भी जरा निकल के कभी अपने घर से देख
इंसान के लहू को पियो इज्न ए आम है
अंगूर की शराब का पीना हराम है
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