Kami Shayari In Hindi | कामी शायरी हिंदी में
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Kami Shayari कमी शायरी हिंदी में (2022-23) In Hindi
Kami Shayari
कमी कमी सी थी कुछ रंग ओ बू ए गुलशन में
लब ए बहार से निकली हुई दुआ तुम हो
इश्क ए फुजूँ में मेरे न हो दोस्तो कमी
माशूक उम्र में है बहुत कम तो क्या हुआ
मय कशो मय की कमी बेशी पे नाहक जोश है
ये तो साकी जानता है किस को कितना होश है
Kami Shayari कमी शायरी हिंदी में (2022-23) हिंदी में
शायद कोई कमी मेरे अंदर कहीं पे है
मैं आसमाँ पे हूँ मिरा साया जमीं पे है
Kami Shayari कमी शायरी हिंदी में (2022-23) 2 line
तिरी आरजू से भी क्यूँ नहीं गम ए जिंदगी में कोई कमी
ये सवाल वो है कि जिस का अब कोई इक जवाब नहीं रहा
जिंदगी में जो इक कमी सी है
ये जरा सी कमी बहुत है मियाँ
रह गई है कुछ कमी तो क्या शिकायत है फहीम
इस जहाँ में सब अधूरे हैं मुकम्मल कौन है
कुछ तो कमी हो रोज ए जजा के अजाब में
अब से पिया करेंगे मिला कर गुलाब में
गम वो मय खाना कमी जिस में नहीं
दिल वो पैमाना है भरता ही नहीं
कौन सी ऐसी कमी मेरे खद ओ खाल में है
आइना खुश नहीं होता कभी मिल कर मुझ से
एक कमी थी ताज महल में
मैं ने तिरी तस्वीर लगा दी
अक्ल में यूँ तो नहीं कोई कमी
इक जरा दीवानगी दरकार है
कमी न की तिरे वहशी ने खाक उड़ाने में
जुनूँ का नाम उछलता रहा जमाने में
भाव ताओ में कमी बेशी नहीं हो सकती
हाँ मगर तुझ से खरीदार को ना कैसे हो
कमी जो आने लगी है हमारी वहशत में
हमारे हाथ से सहरा निकल भी सकता है
यानी कोई कमी नहीं मुझ में
यानी मुझ में कमी उसी की है
अब यही दुख है हमीं में थी कमी उस में न थी
उस को चाहा था मगर अपनी तरह चाहा न था
लगता है कहीं प्यार में थोड़ी सी कमी थी
और प्यार में थोड़ी सी कमी कम नहीं होती
ख्वाबों की तिजारत में यही एक कमी है
चलती है दुकाँ खूब कमाई नहीं देती
जिंदगी भर की कमाई यही मिसरे दो चार
इस कमाई पे तो इज्जत नहीं मिलने वाली
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