Kanjus Shayari In Hindi | कंजूस शायरी हिंदी में
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Kanjus Shayari
बस्ती में बट रही थी हँसी भी हिसाब से
शश्दर खड़ा है सोचता कंजूस आज तक
बहुत कंजूस हैं आँखें मिरी आँसू बहाने में
अगरचे दौलत ए गम की फरावानी नहीं जाती
ख्वाब के सिक्के कितने कम हैं कासे में
नींद को किस ने इस हद तक कंजूस किया
क्यूँ न सहरा को निचोड़ूँ कि मिरी प्यास बुझे
देगा इक कतरा न कंजूस समुंदर मुझ को
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