Karam Shayari In Hindi | करम शायरी हिंदी में
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Karam Shayari कर्म शायरी हिंदी में (2022-23) In Hindi
Karam Shayari
कई लोग मोरचा बंद खौफ की रेत में हैं करम करम
तिरे हाथ में ये जो संग है किसी सम्त उस को उछाल भी
मतीन उन का करम वाकई करम है तो फिर
ये बे रुखी ये तगाफुल ये बरहमी क्या है
ऐ रहमत ए तमाम करम जब हैं बे शुमार
ना हक मिरे गुनाहों का फिर क्यूँ हिसाब हो
Karam Shayari कर्म शायरी हिंदी में (2022-23) हिंदी में
याद ए हजीं नुकूश ए करम और निगाह ए चंद
क्या बाँधा हम ने रख्त ए सफर कुछ न पूछिए
Karam Shayari कर्म शायरी हिंदी में (2022-23) 2 line
शम्अ का शाना ए इकबाल है तौफीक ए करम
गुंचा गुल होते ही खुद साहब ए जर होता है
कोई दस्त ए मसीहाई करम अंदाज होने तक
नमक पाशी का जख्मों को मजा भी लग चुका होगा
कुशादा दस्त ए करम जब वो बे नियाज करे
नियाज मंद न क्यूँ आजिजी पे नाज करे
शायद वो संग दिल हो कभी माइल ए करम
सूरत न दे यकीन की इस एहतिमाल को
मौकूफ जुर्म ही पे करम का जुहूर था
बंदे अगर कुसूर न करते कुसूर था
खुदावंदा करम कर फज्ल कर अहवाल पर मेरे
नजर कर आप पर मत कर नजर अफआल पर मेरे
नजर करम की फरावानियों पे पड़ती है
फिर अपने दामन ए खाकी को देखता हूँ मैं
तोड़ कर अहद ए करम ना आश्ना हो जाइए
बंदा परवर जाइए अच्छा खफा हो जाइए
जरा चश्म ए करम से देख लो तुम
सहारा ढूँढता हूँ जिंदगी का
जो भी दे दे वो करम से वही ले ले नादिर
मुँह से माँगो तो खुदा और खफा होता है
नवाजिश पर हैं माइल वो करम ना आश्ना नजरें
नियाज ए इश्क काम आ ही गया हंगाम ए नाज आखिर
तसद्दुक इस करम के मैं कभी तन्हा नहीं रहता
कि जिस दिन तुम नहीं आते तुम्हारी याद आती है
सब मिरे दिल पे करम उस निगह ए नाज का है
बे करारी है मिरी और न सुकूँ है मेरा
आज इंसाँ ने भुला डाले हैं यज्दाँ के करम
हम ने तो जुल्म भी एहसान तिरे जाने हैं
आती है धार उन के करम से शुऊर में
दुश्मन मिले हैं दोस्त से बेहतर कभी कभी
अल्ताफ ओ करम गैज ओ गजब कुछ भी नहीं है
था पहले बहुत कुछ मगर अब कुछ भी नहीं है
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