Khuddari Shayari In Hindi | खुद्दारी शायरी हिंदी में
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Khuddari Shayari
हर्फ आने न दिया इश्क की खुद्दारी पर
काम नाकाम तमन्ना से लिया है मैं ने
मुझे दुश्मन से भी खुद्दारी की उम्मीद रहती है
किसी का भी हो सर कदमों में सर अच्छा नहीं लगता
अपनी खुद्दारी सलामत दिल का आलम कुछ सही
जिस जगह से उठ चुके हैं उस जगह फिर जाएँ क्या
चंद साँसों के लिए बिकती नहीं खुद्दारी
जिंदगी हाथ पे रक्खी है उठा कर ले जा
अपनी खुद्दारी तो पामाल नहीं कर सकते
उस का नंबर है मगर काल नहीं कर सकते
क्या मालूम किसी की मुश्किल
खुद दारी है या खुद बीनी
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