Khudgarz Shayari In Hindi | खुदगर्ज शायरी हिंदी में
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Khudgarz Shayari
मुझ को न दिल पसंद न वो बेवफा पसंद
दोनों हैं खुदगर्ज मुझे दोनों हैं ना पसंद
मिरा इश्क भी खुदगर्ज हो चला है
तिरे हुस्न को बेवफा कहते कहते
किसे खबर थी कि ये दौर ए खुदगर्ज इक दिन
जुनूँ से कीमत ए दार ओ रसन छुपाएगा
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