Maikhana Shayari In Hindi | मैखाना शायरी हिंदी में
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Maikhana Shayari
मआज अल्लाह मैखाना के औराद ए सहर गाही
अजाँ में कह गया मैं एक दिन या पीर ए मयखाना
ये मयखाना है मयखाना तकद्दुस उस का लाजिम है
यहाँ जो भी कदम रखना हमेशा बा वजू रखना
शैख जी गिर गए थे हौज में मैखाना के
डूब कर चश्मा ए कौसर के किनारे निकले
दैर में का बे में मैखाना में और मस्जिद में
जल्वा गर सब में मिरा यार है अल्लाह अल्लाह
कदम मयखाना में रखना भी कार ए पुख्ता काराँ है
जो पैमाना उठाते हैं वो थर्राया नहीं करते
कहाँ मैखाना का दरवाजा गालिब और कहाँ वाइज
पर इतना जानते हैं कल वो जाता था कि हम निकले
लग्जिश ए साकी ए मयखाना खुदा खैर करे
फिर न टूटे कोई पैमाना खुदा खैर करे
कदम यूँ बे खतर हो कर न मैखाना में रख देना
बहुत मुश्किल है जान ओ दिल को नजराने में रख देना
साकी मयखाना का गर कम दही पर है मिजाज
हम भी यक फिंजाँ बना लेवेंगे सागर तोड़ कर
करें ताकत गँवा कर आबिदाँ मयखाना कूँ सज्दा
क्या जुन्नार में तस्बीह देखन रू ए जेबारा
खुदा करे कहीं मैखाना की तरफ न मुड़े
वो मोहतसिब की सवारी फरेब ए राह रुकी
आए थे हँसते खेलते मैखाना में फिराक
जब पी चुके शराब तो संजीदा हो गए
था जहाँ मयखाना बरपा उस जगह मस्जिद बनी
टूट कर मस्जिद को फिर देखा तो बुत खाने हुए
मैखाना में क्यूँ याद ए खुदा होती है अक्सर
मस्जिद में तो जिक्र ए मय ओ मीना नहीं होता
मैं अभी चुप हूँ तो मैखाना में खामोशी है
कोई पैगाम तो दे ऐ लब ए सागर मुझ को
हो गए दौर में उस चश्म के मैखाना खराब
न कहीं शीशा रहा और न कहीं जाम रहा
मैखाना की बात न कर वाइज मुझ से
आना जाना तेरा भी है मेरा भी
उट्ठी है चश्म ए साकी ए मयखाना बज्म पर
ये वक्त वो नहीं कि हलाल ओ हराम देख
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