Moj Shayari In Hindi | मौज शायरी हिंदी में
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Moj Shayari
साहिल साहिल दार सजे हैं मौज मौज जंजीरें हैं
डूबने वाले दरिया दरिया जश्न मनाते रहते हैं
मौज मौज तूफाँ है मौज मौज साहिल है
कितने डूब जाते हैं कितने बच निकलते हैं
ये मौज मौज बनी किस की शक्ल सी ताबिश
ये कौन डूब के भी लहर लहर फैल गया
दाम ए हर मौज में है हल्का ए सद काम ए नहंग
देखें क्या गुजरे है कतरे पे गुहर होते तक
ये बिफरती मौज अंदेशे समुंदर और मैं
डूबती साँसें हथेली पर मिरा सर और मैं
जूँ मौज हाथ मारिए क्या बहर ए इश्क में
साहिल नसीर दूर है और दम नहीं रहा
मिसाल ए माही ए बे आब मौज तड़पा की
हबाब फूट के रोए जो तुम नहा के चले
खंदा ए मौज मिरी तिश्ना लबी ने जाना
रेत का तपता हुआ देख के जर्रा कोई
खुश्क आँखों से उठी मौज तो दुनिया डूबी
हम जिसे समझे थे सहरा वो समुंदर निकला
वक्त इक मौज है आता है गुजर जाता है
डूब जाते हैं जो लम्हात उभरते कब हैं
हाए वो उस का मौज खेज बदन
मैं तो प्यासा रहा लब ए जू भी
दरिया को अपनी मौज की तुग्यानियों से काम
कश्ती किसी की पार हो या दरमियाँ रहे
वक्त की मौज हमें पार लगाती कैसे
हम ने ही जिस्म से बाँधे हुए पत्थर थे बहुत
आस्तीन ए मौज दरिया से जुदा होती नहीं
रब्त तेरा चश्म से क्यूँ आस्तीं जाता रहा
सरक ऐ मौज सलामत तो रह ए साहिल ले
तुझ को क्या काम जो कश्ती मिरी तूफान में है
ये जो रहते हैं बहुत मौज में शब भर हम लोग
सुब्ह होते ही किनारे पे पड़े होते हैं
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