Mosam Shayari In Hindi | मौसम शायरी हिंदी में
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Mosam Shayari
तिरे बदन की नजाकतों का हुआ है जब हम रिकाब मौसम
नजर नजर में खिला गया है शरारतों के गुलाब मौसम
मौसम का आह ओ नाला से अंदाजा कीजिए
ताजा हवा पे बंद न दरवाजा कीजिए
मिरी जबान के मौसम बदलते रहते हैं
मैं आदमी हूँ मिरा ए तिबार मत करना
जलते मौसम में कोई फारिग नजर आता नहीं
डूबता जाता है हर इक पेड़ अपनी छाँव में
हजार तरह के थे रंज पिछले मौसम में
पर इतना था कि कोई साथ रोने वाला था
जरा ठहरो कि पढ़ लूँ क्या लिखा मौसम की बारिश ने
मिरी दीवार पर लिखती रही है दास्ताँ वो भी
मौसम का जुल्म सहते हैं किस खामुशी के साथ
तुम पत्थरों से तर्ज ए शकेबाई माँग लो
तुम्हारे शहर का मौसम बड़ा सुहाना लगे
मैं एक शाम चुरा लूँ अगर बुरा न लगे
यूँही मौसम की अदा देख के याद आया है
किस कदर जल्द बदल जाते हैं इंसाँ जानाँ
चाहे हैं तमाशा मिरे अंदर कई मौसम
लाओ कोई सहरा मिरी वहशत के बराबर
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