Muqaddar Shayari In Hindi | मुकद्दर शायरी हिंदी में
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Muqaddar Shayari मुकद्दर शायरी हिंदी में (2022-23) In Hindi
Muqaddar Shayari
ऐ शब ए गम मिरे मुकद्दर की
तेरे दामन में इक सहर होती
जकी हमारा मुकद्दर हैं धूप के खेमे
हमें न रास कभी आया साएबान कोई
जब जमीं के मुकद्दर सँवर जाएँगे
आसमाँ से फरिश्ते उतर आएँगे
Muqaddar Shayari मुकद्दर शायरी हिंदी में (2022-23) हिंदी में
जुदाइयाँ तो मुकद्दर हैं फिर भी जान ए सफर
कुछ और दूर जरा साथ चल के देखते हैं
Muqaddar Shayari मुकद्दर शायरी हिंदी में (2022-23) 2 line
वहशतें कुछ इस तरह अपना मुकद्दर बन गईं
हम जहाँ पहुँचे हमारे साथ वीराने गए
रिज्क जैसा है मुकद्दर में लिखा होता है
फन किसी शख्स की जागीर नहीं हो सकता
कुंज ए कफस ही जिस का मुकद्दर हुआ जमील
उस की नजर में दौर ए खिजाँ क्या बहार क्या
नहीं है मेरे मुकद्दर में रौशनी न सही
ये खिड़की खोलो जरा सुब्ह की हवा ही लगे
हम गुलामी को मुकद्दर की तरह जानते हैं
हम तिरी जीत तिरी मात से निकले हुए हैं
जख्म ही तेरा मुकद्दर हैं दिल तुझ को कौन सँभालेगा
ऐ मेरे बचपन के साथी मेरे साथ ही मर जाना
अगर कुछ रोज जिंदा रह के मर जाना मुकद्दर है
तो इस दुनिया में आखिर बाइस ए तख्लीक ए जाँ क्या था
हर घड़ी खुद से उलझना है मुकद्दर मेरा
मैं ही कश्ती हूँ मुझी में है समुंदर मेरा
कमर बाँधो मुकद्दर के सहारे बैठने वालो
शिकस्त ए रज्म से राहों का पेच ओ खम न बदलेगा
लड़कियाँ माओं जैसे मुकद्दर क्यूँ रखती हैं
तन सहरा और आँख समुंदर क्यूँ रखती हैं
कभी साया है कभी धूप मुकद्दर मेरा
होता रहता है यूँ ही कर्ज बराबर मेरा
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