Nazakat Shayari In Hindi | नज़ाकत शायरी हिंदी में
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Nazakat Shayari
नजाकत उस गुल ए राना की देखियो इंशा
नसीम ए सुब्ह जो छू जाए रंग हो मैला
यार की फर्त ए नजाकत का हूँ मैं शुक्र गुजार
ध्यान भी उस का मिरे दिल से निकलने न दिया
अल्लाह रे उस गुल की कलाई की नजाकत
बल खा गई जब बोझ पड़ा रंग ए हिना का
इस नजाकत का बुरा हो वो भले हैं तो क्या
हाथ आवें तो उन्हें हाथ लगाए न बने
अल्लाह री नजाकत ए जानाँ कि में
मजमूँ बंधा कमर का तो दर्द ए कमर हुआ
नाज है गुल को नजाकत पे चमन में ऐ जौक
उस ने देखे ही नहीं नाज ओ नजाकत वाले
फूल कह देने से अफ्सुर्दा कोई होता है
सब अदाएँ तिरी अच्छी हैं नजाकत के सिवा
दुश्नाम ए यार तब् ए हजीं पर गिराँ नहीं
ऐ हम नशीं नजाकत ए आवाज देखना
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