Niyat Shayari In Hindi | नियत शायरी हिंदी में
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Niyat Shayari
सुना है सच्ची हो नीयत तो राह खुलती है
चलो सफर न करें कम से कम इरादा करें
बुरा सही मैं प नीयत बुरी नहीं मेरी
मिरे गुनाह भी कार ए सवाब में लिखना
खुलूस ए नियत ए रहबर पे मुनहसिर है अजीम
मकाम ए इश्क बहुत दूर भी है पास भी है
निगाह ए लुतफ ओ इनायत से फैजयाब किया
मुझे हुजूर ने जर्रे से आफ्ताब किया
तफ्सील ए इनायात तो अब याद नहीं है
पर पहली मुलाकात की शब याद है मुझ को
तमाम मसअले नौइयत ए सवाल के हैं
जवाब होते हैं सारे सवाल के अंदर
मैं वो महरूम ए इनायत हूँ कि जिस ने तुझ से
मिलना चाहा तो बिछड़ने की वबा फूट पड़ी
पीने से कर चुका था मैं तौबा मगर जलील
बादल का रंग देख के नीयत बदल गई
तय्यार थे नमाज पे हम सुन के जिक्र ए हूर
जल्वा बुतों का देख के नीयत बदल गई
लोग मरते भी हैं जीते भी हैं बेताब भी हैं
कौन सा सेहर तिरी चश्म ए इनायत में नहीं
यूँ तो बरसों न पिलाऊँ न पियूँ ऐ जाहिद
तौबा करते ही बदल जाती है नीयत मेरी
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