Rojgar Shayari In Hindi | रोजगार शायरी हिंदी में
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Rojgar Shayari
तह कर चुके बिसात ए गम ओ फिक्र ए रोजगार
तब खानकाह ए इश्क ओ मोहब्बत में आए हैं
खूबान ए रोजगार मुकल्लिद तेरी हैं सब
जो चीज तू करे सो वो पावे रिवाज आज
सह लूँगा ऐ हबीब सितम हा ए रोजगार
हासिल अगर हो दोस्त की प्यारी नजर मुझे
गो मैं रहा रहीन ए सितम हा ए रोजगार
लेकिन तिरे खयाल से गाफिल नहीं रहा
आलाम ए रोजगार को आसाँ बना दिया
जो गम हुआ उसे गम ए जानाँ बना दिया
फिक्र ए मआल थी न गम ए रोजगार था
हम थे जहाँ में और तिरा इंतिजार था
इलाही एक गम ए रोजगार क्या कम था
कि इश्क भेज दिया जान ए मुब्तला के लिए
गुल ही कभी तो मुंतखब ए रोजगार था
खारों पे अब तो आया है मौसम बहार का
दुनिया ने तेरी याद से बेगाना कर दिया
तुझ से भी दिल फरेब हैं गम रोजगार के
मैं और तुम से तर्क ए मोहब्बत की आरजू
दीवाना कर दिया है गम ए रोजगार ने
रकीब देख सँभल कर के सामने आना
बरहना तेग हैं इक दस्त ए रोजगार में हम
आशोब ए इज्तिराब में खटका जो है तो ये
गम तेरा मिल न जाए गम ए रोजगार में
मुमकिन है अश्क बन के रहूँ चश्म ए यार में
मुमकिन है भूल जाए गम ए रोजगार में
न आए मौत खुदाया तबाह हाली में
ये नाम होगा गम ए रोजगार सह न सका
रोते फिरते हैं सारी सारी रात
अब यही रोजगार है अपना
ऐ जुल्फ ए यार तुझ से भी आशुफ्ता तर हूँ मैं
मुझ सा न कोई होगा परेशान ए रोजगार
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