Saath Shayari In Hindi | साथ शायरी हिंदी में
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Saath Shayari
वो खुश किसी के साथ हैं ना खुश किसी के साथ
हर आदमी की बात है हर आदमी के साथ
उन की निगाह ए नाज की गर्दिश के साथ साथ
महसूस ये हुआ कि जमाना बदल गया
अदा ए इश्क हूँ पूरी अना के साथ हूँ मैं
खुद अपने साथ हूँ यानी खुदा के साथ हूँ मैं
रहती है साथ साथ कोई खुश गवार याद
तुझ से बिछड़ के तेरी रिफाकत गई नहीं
सहर के साथ चले रौशनी के साथ चले
तमाम उम्र किसी अजनबी के साथ चले
तू अपने साथ साथ में पर्दा नशीं को भी
रुस्वा करेगा ऐ दिल ए खाना खराब क्या
आसूदगी कहाँ जो दिल ए जार साथ है
मरने के ब अद भी यही आजार साथ है
रोज ए सियह में साथ कोई दे तो जानिए
जब तक फरोग ए शम्अ है परवाना साथ है
देखो उस ने कदम कदम पर साथ दिया बेगाने का
अख्तर जिस ने अहद किया था तुम से साथ निभाने का
उल्फत का है मजा कि असर गम भी साथ हों
तारीकियाँ भी साथ रहें रौशनी के साथ
राब्ता लाख सही काफिला सालार के साथ
हम को चलना है मगर वक्त की रफ्तार के साथ
तेरा घर और मेरा जंगल भीगता है साथ साथ
ऐसी बरसातें कि बादल भीगता है साथ साथ
दूँ हम सरी में बैठ के किस ना सजा के साथ
याँ बहस का दिमाग नहीं है खुदा के साथ
शामिल हो गर न गम की खलिश जिंदगी के साथ
रक्खे न कोई रब्त ए मोहब्बत किसी के साथ
तलाक दे तो रहे हो इताब ओ कहर के साथ
मिरा शबाब भी लौटा दो मेरी महर के साथ
झोंके के साथ छत गई दस्तक के साथ दर गया
ताजा हवा के शौक में मेरा तो सारा घर गया
शर्तें लगाई जाती नहीं दोस्ती के साथ
कीजे मुझे कुबूल मिरी हर कमी के साथ
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