Umeed Shayari In Hindi | उम्मीद शायरी हिंदी में
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Umeed Shayari
उम्मीद ओ बीम ने मारा मुझे दो राहे पर
कहाँ के दैर ओ हरम घर का रास्ता न मिला
जो मिरी शबों के चराग थे जो मिरी उमीद के बाग थे
वही लोग हैं मिरी आरजू वही सूरतें मुझे चाहिएँ
उमीद ओ बीम के मेहवर से हट के देखते हैं
जरा सी देर को दुनिया से कट के देखते हैं
बिछड़ के तुझ से मुझे है उमीद मिलने की
सुना है रूह को आना है फिर बदन की तरफ
उमीद उन से वफा की तो खैर क्या कीजे
जफा भी करते नहीं वो कभी जफा की तरह
जीने की नहीं उमीद हम को
तीर उस का जिगर के पार निकला
मुनहसिर मरने पे हो जिस की उमीद
ना उमीदी उस की देखा चाहिए
तेरे आने की क्या उमीद मगर
कैसे कह दूँ कि इंतिजार नहीं
तुम ऐसे कौन खुदा हो कि उम्र भर तुम से
उमीद भी न रखूँ ना उमीद भी न रहूँ
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