Yara Shayari In Hindi | यारा शायरी हिंदी में
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Yara Shayari
समझ रहे हैं मगर बोलने का यारा नहीं
जो हम से मिल के बिछड़ जाए वो हमारा नहीं
यारा है कहाँ इतना कि उस यार को यारो
मैं ये कहूँ ऐ यार है तू यार हमारा
किसी खयाल की सरशारी में जारी ओ सारी यारी में
अपने आप कोई आएगा और बन जाएगा मेहमान
आता नहीं अदू से यारी मुझे निभाना
मिलता नहीं वो दिल से फिर हाथ क्या मिलाना
वो जो इक तोला कई माशा थी यारी तुम से
रत्ती भर भी न रहा इस में कुछ आसार कहीं
हम छनालों की छोड़ दी यारी
नफ्स को मार कर क्या मुर्दा
यारो शब ए फिराक मैं रोया हूँ इस कदर
था चौथे आसमान पे पानी कमर कमर
फुर्सत ए कार फकत चार घड़ी है यारो
ये न सोचो की अभी उम्र पड़ी है यारो
यारो ये दौर जोफ ए बसारत का दौर है
आँधी उठे तो उस को घटा कह लिया करो
करीब है यारो रोज ए महशर छुपेगा कुश्तों का खून क्यूँकर
जो चुप रहेगी जबान ए खंजर लहू पुकारेगा आस्तीं का
यारो हुदूद ए गम से गुजरने लगा हूँ मैं
मुझ को समेट लो कि बिखरने लगा हूँ मैं
अगर समझो नमाज ए जाहिद ए मगरूर यारो
हजारों बार बेहतर तर हमारी बे नमाजी है
ये दौर भी क्या दौर है इस दौर में यारो
सच बोलने वालों का ही अंजाम बुरा है
इंसाफ के पर्दे में ये क्या जुल्म है यारो
देते हो सजा और खता और ही कुछ है
दिल सा वहशी कभी काबू में न आया यारो
हार कर बैठ गए जाल बिछाने वाले
वो वहशी इस कदर भड़का है सूरत से मिरे यारो
कि अपने देख साए को मुझे हमराह जाने है
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