Zamana Shayari In Hindi | ज़माना शायरी हिंदी में
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Zamana Shayari
जमाना मुझ से जुदा हो गया जमाना हुआ
रहा है अब तो बिछड़ने को मुझ से तू बाकी
मीर साहिब जमाना नाजुक है
दोनों हाथों से थामिए दस्तार
जमाना बर सर ए आजार था मगर फानी
तड़प के हम ने भी तड़पा दिया जमाने को
जमाना सख्त कम आजार है ब जान ए असद
वगरना हम तो तवक्को ज्यादा रखते हैं
बदल गया है जमाना बदल गई दुनिया
न अब वो मैं हूँ मिरी जाँ न अब वो तू तू है
जमाना था वो दिल की जिंदगी का
तिरी फुर्कत के दिन लाऊँ कहाँ से
हकीकतों में जमाना बहुत गुजार चुके
कोई कहानी सुनाओ बड़ा अँधेरा है
कैद में इतना जमाना हो गया
अब कफस भी आशियाना हो गया
हजार बार जमाना इधर से गुजरा है
नई नई सी है कुछ तेरी रहगुजर फिर भी
वाकिफ कहाँ जमाना हमारी उड़ान से
वो और थे जो हार गए आसमान से
जमाना अक्ल को समझा हुआ है मिशअल ए राह
किसे खबर कि जुनूँ भी है साहिब ए इदराक
कोई दिन आगे भी जाहिद अजब जमाना था
हर इक मोहल्ले की मस्जिद शराब खाना था
जो देखिए तो जमाना है तेज रौ कितना
तुलू ए सुब्ह अभी है तो वक्त ए शाम अभी
जमाना देखा है हम ने हमारी कद्र करो
हम अपनी आँखों में दुनिया बसाए बैठे हैं
जमाना इश्क के मारों को मात क्या देगा
दिलों के खेल में ये जीत हार कुछ भी नहीं
किस तरह रजा तू न हो धवाने जमाना
जब दिल सा तिरी बैठा हो बदनाम बगल में
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